Some simple and normal thoughts which are straight from the heart!!
Friday, December 24, 2010
जी में आया तो उड़ चली फिर क्या हवाएँ और क्या दिशाएँ बाँध नही सकता , रोक नही सकता है कोई मन की तो सीमा क्षितिज भी नहीं ..
अहसासों को अल्फाज़ों की लकीरों से बाँध रही हूँ उम्मीदों की सतह पर कल की नींव डाल रही हूँ कुछ कहीं, कुछ अनकही, कुछ उनसुनी ख्वाहिशों को आज इस खत मैं लिखकर, खुदा को डाल रही हूँ..